Bin-Maange-Moti-Mile

बिन मांगे मोती मिले

नैतिक कहानियाँ

Bin Maange Moti Mile: क्वार का महीना हल्की-हल्की सर्दियों का गुलाबी मौसम उसमें भी नवरात्रे की पूजा के हवन की खुशबू , दिल में एक अलग ही आनंद छाया रहता है , नवरात्रों की खुशबू मौसम को मनमोहक बना देती है ।

नूतन अपनी छत पर खड़े होकर इस मौसम को अपने अंदर समाहित कर रही थी ।

छत पर खड़े होकर अपने बालों को संवार रही थी और मौसम की खुशबू में खोई हुई थी

ना जाने कहां से एक हीरो आकर उसके घर के सामने बने हुए मैदान में अपने दोस्तों से बातें करने में लगा था ।

नूतन का ध्यान उधर हुआ , उसकी एक झलक देखकर नूतन की निगाहें उसी पर टिक गई । उसके बात करने का तरीका उसकी स्माइल एकदम से नूतन के दिल में उतर गई ।

काफी देर तक नूतन उसे देखती रही और वो अपने दोस्तों के साथ बातें करने में लगा हुआ था और नूतन वही खड़े खड़े उसी को निहारने लगी , उसे इतना भी ध्यान ना रहा कि आसपास खड़े हुए लोग हमें देख रहे हैं।

नूतन उसकी मोहिनी सूरत में हूं खो गई अब तो जब भी वह गली से गुजरता उसको ही देखती रहती।

जिस दिन वह नहीं दिखता दिल बेचैन होने लगा था कहीं पर भी मन नहीं लगता कोई काम करने की इच्छा ना होती ।

कहीं ऐसा ना हो की मैं काम करती रहूं और वह इधर से गुजर जाए और मैं उसकी सूरत ना दे पाऊं ।

बस आए दिन उसी का इंतजार करती रहती ,कई दिनों तक नूतन का उसको छुप छुप कर देखना जारी रहा

लेकिन उस लड़के को पता ही ना चला ,एक दिन अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहा था , नूतन उसे देख रही थी ,तभी उसके एक दोस्त ने इशारा किया , देख वो लड़की तुझे कब से देखी जा रही है उसने पलट कर देखा तो दोनों की नजरें आपस में टकरा गई

और उस दिन से ” आंखें चार” हो गई

फिर दोनों की मुलाकातें नहीं हुई नूतन उदास हो गई।

और एक दिन उस लड़के के घर से उसके मम्मी पापा अपने बेटे के लिए नूतन का हाथ मांगने आ गए

नूतन को फोटो दिखाया, नूतन मन ही मन खुश हो रही थी

बिन मांगे ही मुराद पूरी हो गई

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