Hansti hui beti: मां….दोनों दीदीयों का आना कंफर्म हो गया मेरी दोनों दीदीयों से बात हो गई है वह इसबार रक्षाबंधन पर आ रही हैं ….मोहन खुशी से मां से बोला….
शुक्र है तेरा प्रभु ….दोनों को देखे कितना समय हो गया ये मुंई बीमारी ने तो सबसे दूर कर दिया था…. पिछले साल लाँकडाउन की वजह से मेरी दोनों बेटियां नहीं आ पाई थी ….मां थोडा सा रुंधे गले से बोली ….
अरे तो अब पिछले साल की कसर निकाल लेना ….बेटियों और नातियों को ढेर सारा प्यार देकर ….पिताजी ने हंसते हुए कहा….
बाहर आंगन में मोहन और उसके माता पिता हंस रहे थे तो वही रसोईघर में रोटी सब्जी के इंतजाम मे लगी सुधा की आँखें भीगी हुई थी ….दोनों दीदीया आ रही है मतलब इसबार भी मे मां बाबूजी से नहीं मिल पाऊंगी ….कितना मन है ना उनका अपनी नातिन आराध्या से खेलने का और आराध्या भी तो नानी के घर ….नानी के घर जाना है मुझे ….मैंने उसे कहा था रक्षाबंधन पर चलेंगे पर अब ….
कया कर सकती हूं ….मां ने कहा था विदाई पर ….सुधा बिटिया अबसे वो तेरा परिवार पहले है वहां की देखरेख जिम्मेदारियों को पहले रखना मतलब मे इसबार भी मम्मी पापा से नहीं मिल सकती पिछली बार ये बीमारी के चलते रुकना पडा था और अब …कया मोहनजी से बात करुं वो समझेंगे …शायद नहीं …कहेंगे मेरी बहने आ रही है और तुम काम से जी चुराकर भागने में लगी हो उनकी खातिरदारी कौन करेगा……खैर घर की बेटियां आ रही है तो घर की बहु होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है निभाऊंगी ……लगभग दो दिन हो गए थे इसबात को सुधा भरसक कोशिश कर रही थी की वह चेहरे पर शिकन ना लेकर आए मगर मायके ना जाने का दुख एक बेटी के चेहरे पर आ रहा था …..
आज भी वह रसोईघर में खाना बनाने में लगी.हुई थी कि उसके कानों में सासूंमां की आवाज पडी….कयुं रे मोहन …कया तेरी कुछ कहासुनी हुई है सुधा के साथ…
नहीं तो मां….मगर ऐसा कयुं पूछ रही हो …मोहन बोला
दिखाई देता है मुझे मेरी बेटी का मुरझाया चेहरा जरूर तूने कुछ कहा होगा वरना सुधा हंसते हुए सारे काम निपटाने मे लगी रहती थी मगर आजकल उसके चेहरे पर कुछ उदासी सी दिखाई दे रही है …सच सच बता अगर मुझे पता चला तो बहुत बुरा होगा …
मां कैसी बातें करती हो मैंने सुधा से कुछ भी नहीं कहा …वो हर काम इतना अच्छे से करती है कि मुझे अपनी पत्नी से लडाई का कोई मौका नहीं मिलता …कहकर मोहन हंसने लगा….
तो फिर आपने …..मां ने पिताजी की ओर देखकर पूछा
कौन मे ….अरे भाई मे अपनी प्यारी सी बिटिया को कयुं कुछ कहूंगा वो मुझे अपने पिता जैसा प्यार और सम्मान देती है वैसे मैने अक्सर यही सुना है कि …
कया सुना है ….मां गुस्साए बोली
यही की झगड़ा सास बहु का होता है कया पता तुमने ही …..
कया कहा आपने ….
अरे भाई मे तो मजाक कर रहा था ….पिताजी हंसने लगे
हूह…. वैसे मै उससे कयुं लडूं भला वो बडी प्यारी बच्ची है सच कहूं उसके आने के बाद मुझे लक्ष्मी रानी की कमी महसूस नहीं होती बिल्कुल बेटियों जैसे रहती हैं वो …
सुधा …..सुधा बाहर आओ तो ….
जी मां आई ….रसोईघर में सबकुछ सुन रही सुधा भीगी हुई पलकों को साफ करते हुए बाहर हंसते हुए आई …जी मां बुलाया आपने ….
यहां बैठ ….मां कहती भी है या मानती भी है
मुझसे कोई गलती हो गई मां ….सुधा बोली…
हां ….ये कया हाल बना रखा है सच सच बता किसने तुझसे कुछ कहा है अगर मोहन ने तो ….मत भूल मे तेरी मां जिंदा हूं बोल …
नहीं मां बस आपको पता नहीं कयुं लगा इनहोने कुछ नहीं कहा ….
अच्छा तो ये चेहरा कयुं लटका हुआ है बोल ….अरी लडकियां तो झूमती है मायके जाने के नाम भर से और तू है की… रक्षाबंधन सिरपर है और मेरी बेटी मुंह लटकाए है ….
ना…नहीं तो मम्मी जी …… सुधा बोली
कया हुआ ….मम्मी पापा के यहां नहीं जाना तुझे अपने भाई को राखी नहीं बंधोगी ….
पर मां दोनों दीदीया आ रही है तो मे कैसे ….
पगली ….उनके आने से तेरे मायके ना जाने का कया सम्बंध ….अरे हम है ना ….वो यहां आएगी तो मे और मोहन इंतजाम करेंगे सब और तुम्हारे पापा भी तो है …फिर वह दोनों आ जाएगी तो वो भी मदद करेगी ना….हम यहां मजे करेंगे और तुम वहां मजे करना …कयुं मोहन ….
बिल्कुल मां …..आखिर आराध्या को अपने दादा दादी के साथ साथ अपने नाना नानी और अपने मामाजी का प्यार भी तो मिलना चाहिए ना …कयुं आराध्या….
हां पापा ….मुझे नानू और नानी से बहुत सी कहानियां सुननी है और मामाजी के साथ घूमना है ….
हां मेरी बच्ची ….देख हमें ….हमसब अपने घर में बहन बेटियों के लिए उन्हें देखने प्यार करने के लिए कितने व्याकुल है तो वहां तुम्हारे मम्मी पापा और भाई भी तो तुमसे और आराध्या से मिलने के लिए व्याकुल होगे ….हे ना….
मां…..कहकर सुधा मां से लिपटकर रोने लगी….
पगली ….मायके जाते हुए बेटियां खुश होती है तो खुशी खुशी जाना और खुशी खुशी आना ….यहां अपनी मां के पास….और फिर कभी यूं चेहरा उदास नहीं करना बेटियां हंसते हुए ही अच्छी लगती है …..
हां मम्मी…. मुझे देखो ….कहकर आराध्या मुस्कुराते हुए सुधा की गोदी में चढ गई ….
सुधा ने देखा अब सभी घर के सदस्य मुस्कुरा रहे थे.